कंगनी अनाज खाने के फायदे | Priyangu Kangni Millet in Hindi

By | April 21, 2024

प्रिय साथियों, www.devbhumiuk.com साईट के एक नए ब्लॉग पोस्ट में आज हम बात करने वाले है – कंगनी, काकनी, कौणी Foxtail मिलेट के बारे में। दोस्तों यह फसल वर्षो पहले से उत्तराखंड के मुख्य अनाजो में से एक माना जाता रहा है। परन्तु आज के बदलते परिवेश में यह फसल लगभग बिलुप्त होने के कगार पर पहुच चुकी है। तो अब ज्यादा समय न लेते हुवे चलिए इस फसल के इतिहास और महत्व के बारे में जानते है।

कंगनी अनाज खाने के फायदे | Priyangu Kangni Millet in Hindi: एक ऐसी फसल (कंगनी, काकनी, कौणी, Foxtail मिलेट) जो लगभग धरती से समाप्त हो चुकी है यदि इस फसल के प्रति हम लोगो मे जागरूकता होती, तो शायद आज इसकी ऐसी हालत देखने को नही मिलती। यू तो हम पेट भरने के लिए या बेहतर स्वाद के लिए मार्किट में उपलब्ध कई खाद्य पदार्थो को खाते है। और यदि मार्किट में कुछ नया आता है तो उसे एक बार जरूर ट्राय करते है। यह भी पढ़े: आलू के गुटके बनाने की रेसिपी

कंगनी अनाज खाने के फायदे. Priyangu Kangni Millet in Hindi

Priyangu Kangni Millet in Hindi

जी दोस्तो जो लोग गाँव मे रहे होंगे उन्होंने इसका भोजन भी खूब किया होगा लेकिन इसको खाने का नशीब भी उन्ही का रहा है जो लगभग 1998 के पहले गाँव मे रहे होंगे। जी दोस्तो आज का विषय है कौणी इसकी विश्व मे लगभग 100 से अधिक प्रजातीया उपलब्ध है। foxtail millet जिसे वैज्ञानिक भाषा मे Setaria Italica के नाम से जाना जाता है। posceae कुल का पौधा है। कौणी का भारत मे प्रसिद्ध नाम कंगनी या टांगुन है।

चीनी बाजार के नाम से भी कौणी को जाना जाता है। और इसे भारत मे अनेको नामो से जाना जाता है जैसे:-

  • हिन्दी — कंगनी, कांकुन, टांगुन
  • संस्कृत — कंगनी, प्रियंगु, कंगुक, सुकुमार, अस्थिसंबन्धन:
  • अंग्रेजी — फॉक्सटेल मिलेट, इटालियन मिलेट
  • मराठी — कांग, काऊन, राल
  • गुजराती — कांग
  • बंगाली — काऊन, काकनी, कानिधान, कांगनी दाना
  • तमिलनाड़ू — तिनी

कौणी बहुत ही प्राचीन फसलो में से एक है, इसका इतिहास चीन में लगभग 5000 वर्ष ईसा पूर्व का है और यूरोप में 3000 वर्ष ईसा पूर्व का इतिहास पाया जाता है। कौणी भारत के अलावा रूस, यूरोप, अफ्रीका, चीन, अमेरिका में भी उत्पादित किया जाता है। इन देशों में इसकी व्यावसायिक खेती भी की जाती है।

कंगनी अनाज खाने के फायदे

कौणी की खेती उत्तराखण्ड में बहुत ही कम हो चुकी है, पहले इसकी खेती पशुओ के लिए भी की जाती थी क्योंकि कौणी पशुओ के लिए भी बहुत पौष्टिक होती है। दक्षिण भारत और छत्तीसगढ़ में कौणी को प्रमुख फसल के रूप में उगाया जाता है और यहाँ इसका भोजन भी किया जाता है। छत्तीसगढ़ में कौणी का उपयोग कई रोगों के उपचार हेतु भी किया जाता है जैसे, हड्डियों में सूजन व कमजोरी के लिये, अतिसार जैसे रोगों में कौणी फायदेमंद साबित हुई है। कौणी मिट्टी को बांधे रखने में भी काफी सक्षम पायी गयी है।

अब बात करते है कौणी में विद्यमान पौष्टिक गुणों की, जहा तक कौणी की पौष्टिकता की बात करे तो इसमें अनेको गुण पाए जाते है जो कौणी को अन्य millet से पृथक करते है। कौणी वीटा कैरोटीन का प्रमुख स्रोत माना जाता है। कौणी में Alkaloid, Flavonoid, Phenolics, Tannins के अलावा Starch 57.57 mg Carbohydrates 67.68 mg, कैल्सियम 3.0 gm, iron 2.8 gm, Phosphorus 3.0 3.0mg प्रति ग्राम पाए जाते है। इसमें protein 13.81%, फाइबर 35.2%, fat 4.0% पाये जाते है। कौणी में low glycimic भी उपलब्ध है। कौणी हमारे रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को 70% तक कर देता है। कौणी में एमिनो अम्ल जैसे Lysine 233 mg, Methionine 296 mg, Tryptophan 103 mg, Phenylalanine 708 mg, thereonine 328 mg, Leucine 1764 mg, व Valine 728 mg प्रति 100 ग्राम तक पाये जाते है।

कंगनी, काकनी, कौणी Foxtail मिलेट

कंगनी अनाज (Kangni millet): कौणी का आटा काफी पौष्टिक होता है, यही कारण है कि विश्वभर में इसका उपयोग बेकरी के उत्पाद तैयार कएने में काफी अद्गीक किया जाता है। चीन के अलावा कई देशों में इससे ब्रेड, चिप्स, व बेबी फ़ूड बनाये जाते है। इसका उपयोग बियर, सिरका, व एल्कोहल बनाने में भी किया जाता है। कौणी के अंकुरित बीजो का उपयोग चीन में सब्जी के रूप में खूब किया जाता है। कौणी से तैयार ब्रेड में पौष्टिकता, रंग, हार्डनेस, और स्वाद काफी बेहतर पाया जाता है। आज भारत मे कौणी का उत्पादन काफी कम हो चुका है यदि इसे भारत मे भी बेकरी के उद्योग से जोड़ दिया जाए तो, इससे आर्थिकी को और किसानों को काफी फायदा हो सकता है। विश्व मे चीन कौणी उत्पादन में प्रमुख है। कौणी विश्व बाजार में 150 से 200 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। कौणी भी रागी की ही तरह सूखा सहन करने की क्षमता रखता है।

कौणी के उपयोग और इसके फायदे और पौष्टिकता के बारे में शायद ही कोई जानता हो, मैं भी इनकी पौष्टिकता के बारे में इतनी जानकारी नही रखता लेकिन यह जानकारिया आज के इंटरनेट के समय मे निकालना बहुत मुश्किल नही है। यही से मैं डॉ. राजेन्द्र डोभाल जी के लेखों को पढ़ने के बाद अपना लेख लिखता हूं और कुछ अन्य ब्लॉग या वेबसाइटो से। हमने तो इन चीजों का उपयोग बचपन मे खूब किया है लेकिन आज के समय मे देखना भी मुश्किल होता है।

दोस्तों, कंगनी अनाज खाने के फायदे | Priyangu Kangni Millet in Hindi के बारे में यह जानकारी आपको कैसे लगी? नीचे कमेन्ट करके जरुर बताइए। उत्तराखंड और देश – विदेश से जुडी ऐसे ही तमाम रोचक जानकारी के लिए हमारी साईट www.devbhumiuk.com पर आते रहिये।

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