घट-घराट (पनचक्की): पहाड़ी क्षेत्र में पानी के बेग से चलने वाली चक्‍की

प्यारे साथियों, अगर आप देवभूमि उत्तराखंड से हो और आपका जन्म वर्ष 1980 या उससे पहले हुवा है, तो आपने पहाड़ो के घदेरो में पानी से चलने वाली चक्की (पनचक्की) जरुर देखी होगी। जी हा दोस्तों हम बात कर रहे है घराट चक्की, घट या घराट के बारे में। तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते है।

सत्य कहा है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। जब जब प्राणी को किसी भी वस्तु की आवश्यकता होती है तो वह तन मन और धन से उसके समाधान को खोजने में लग जाता है। चाहे वह मनुष्य हो,पशु हो या पक्षी। समय की मांग उसके समाधान के लिए उसे बाध्य कर देती है। यह भी देखें : गढ़वाली वॉलपेपर फोटो

घट-घराट (पनचक्की): पहाड़ी क्षेत्र में पानी के बेग से चलने वाली चक्‍की
घट-घराट (पनचक्की): पहाड़ी क्षेत्र में पानी के बेग से चलने वाली चक्‍की

यहाँ पर हम अपने पूर्वजों के द्वारा किये गए आविष्कार का वर्णन करेंगे, चाहे वह कृषि यन्त्र हो, घट या घराट हो, दूर दूर से खेतो में पानी लाने वाले गूल हो या जंगल में लकड़ी की चिराई करना हो। आज के समय में इन्हीं पुराने आविष्कार के आधार पर ही जो हमारे पूर्वजों द्वारा किये गए थे उनको विकसित रूप दे कर बड़े से बड़े मशीनों का आविष्कार किया जा रहा है।

अगर हम अपने पूर्वजों को वैज्ञानिक कहें तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर या बार बार प्रयास से अंततः सफलता हासिल कर ली और नये नये आविष्कारों को जन्म दिया, उन्हीं आविष्कारों में से एक है- घराट।
घट या घराट क्या है ?

पानी हमारे जिंदगी की सबसे बड़ी जरुरत और ऊर्जा का एक अनूठा स्रोत है। बहते हुए इस पानी की ताकत को हमारे पूर्वजों ने सदियों पहले ही पहचान लिया था और इसका बखूबी इस्तेमाल भी किया। प्राकृतिक संसासाधन, पारंपरिक ज्ञान और स्थानीय कौशल का एक ऐसा ही उदाहरण है घराट। ये घराट एक समय में पहाड़ों की धड़कन हुआ करती थी। जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ साथ हमारी संस्कृति को दर्शाती थी।

पर्वतीय क्षेत्र सदानीर नदियों के किनारे बनाये गये पानी से चलने वाली पनचक्कियों को घट या घराट कहते हैं। जिनका उपयोग आटा पीसने के लिए किया जाता था।

इसमें गूल द्वारा पानी लाकर घट के पंखुड़ियों में गिराया जाता है पानी के तेज बहाव के कारण पंखुड़ियां घूमने लगती है, जिसके कारण चक्का भी साथ साथ घूमने लगता है। जो आज के समय के डीजल या बिजली केचक्की के समान ही कार्य करता था। डीजल और बिजली के चक्की के आने से घराट अब अपनी पहचान लगभग खो चुके हैं। आज के समय में बहुत कम सक्रिय घराट देखने को मिलेंगे…।।

पनचक्की का अर्थ: “पर्वतीय क्षेत्र में आटा पीसने की पनचक्की का उपयोग अत्यन्त प्राचीन है। पानी से चलने के कारण इसे ‘घट’ या ‘घराट’ कहते हैं। पनचक्कियाँ प्राय: सदानीरा नदियों के तट पर बनाई जाती हैं। गूल द्वारा नदी से पानी लेकर उसे लकड़ी के पनाले में प्रवाहित किया जाता है जिससे पानी में तेज प्रवाह उत्पन्न हो जाता है“।

Himachal Darshan के FB वाल से.

दोस्तों, घट-घराट (पनचक्की): पहाड़ी क्षेत्र में पानी के बेग से चलने वाली चक्‍की के बारे में यह जानकारी आपको कैसे लगी? नीचे कमेन्ट करके जरुर बताइए। उत्तराखंड और देश – विदेश से जुडी ऐसे ही तमाम रोचक जानकारी के लिए हमारी साईट www.devbhumiuk.com पर आते रहिये।

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