पहाड़ों वाली शायरी love 2 line – देवभूमि उत्तराखंड पर शायरी: प्रिय साथियों, www.devbhumiuk.com साईट के एक नए पोस्ट में आपका स्वागत है। आज इस पोस्ट में हम कुछ खास पहाड़ों वाली शायरी 2 line आपके साथ शेयर करने वाले है। उम्मीद है कि आप लोग जितना अपने प्यारे देवभूमि उत्तराखंड को पसंद करते है उतना ही पसंद इन देवभूमि उत्तराखंड पर शायरी को भी करेंगे। तो चलिए कुछ लेटेस्ट पहाड़ों वाली शायरी love पढ़ते है। यह भी देखिये : Garhwali Shayari (गढ़वाली शायरी )
पहाड़ों वाली शायरी 2 line | देवभूमि उत्तराखंड पर शायरी | पहाड़ों वाली शायरी love
चहचहाना पंछियों का, सादगी भरे लोगों के चेहरे
देवभूमि यूँ ही नहीं कहते इन्हें, भगवान भी यहाँ आकर हैं ठहरे।
पहाड़ों में छाए हुए घनघोर बादल, परिंदों की मधुर-मधुर सी चहचहाहट
नदियों की लहरें आवाज़ें करती हैं कलकल, खुशियाँ ही खुशियाँ बसती हैं यहाँ हर पल।
गिरना, उठना, संभल कर चलना
टेड़े-मेड़े से रास्ते पहाड़ों के, सिखाते हैं आगे बढ़ते रहना।
पहाड़ी लोग रोज़गार की तलाश में, शहर जाते हैं।
और शहरी लोग शुद्ध साँसें लेने पहाड़ आते हैं।
पहाड़ों के निवासियों का जीवन है तपस्या,
पहाड़ों पर रहना है एक विकट समस्या।
पहाड़ में रहने वालों की, मुश्किलें होती हैं पहाड़ों-सी
फिर भी मुस्कुराहटें हैं, इनकी प्यारी-सी।
बर्फीली चोटियों पर सूरज की लाली,
पहाड़ की है हर बात निराली।
मंगल ध्वनियाँ गूँजतीं, यहाँ सुबह और शाम
पग-पग पर बसे हुए, तीर्थ और स्वर्ग तुल्य चारों धाम।
पहाड़ की सुहानी हवाएं, करती हैं मदहोश
पाँव जमीं पर न रहें, भर देतीं इतना जोश।
प्रकृति सिखाती हमें, जीने का सलीका
धूप हो या बरसात, फूलों-सा खिलने का तरीका।
पहाड़ी जीवनशैली,
अनूठी है परम्परा की माला।
ऊँचे पर्वतों के घने जंगल,
चलना है इसके साथ संग।
सुबह की धूप, शाम की ठंड,
पर्वतीय वातावरण का है अद्वितीय गुणगान।
गांव की सीनाजोरी, बजार की रौनक,
हर कोने से बजता धरोहर का ताल।
खेतों की हरियाली, गाय के मुखारे,
पहाड़ी जीवनशैली की अनमोल खासियत ये सारे।
धर्म, संस्कृति का है यहाँ अद्भुत संगम,
पर्वतीय जीवन की अद्वितीय दृष्टि का स्रोत ये किनारे का विचार।
बादलों के साये में, पर्वतों के आँचल में
राहतें बसती हैं, पहाड़ों की पनाहों में।
पहाड़ की ओट से निकलता,
पहाड़ की ओट में ही छिपता
ऐसा लगता मानों पहाड़ के साये में ही सूरज,
खुद को महफूज समझता।
बंजर भूमि में भी, लाती हैं हरियाली
ये पहाड़ की नारी, मेहनत से न डरने वाली।
हर तरफ शांति और सुकून,
खूबसूरत पहाड़ों की वादियाँ
हरे-भरे बुग्याल यहाँ,
फूलों की हैं घाटियाँ।
जो हिम्मत कभी न हारी है,
ये पहाड़ की ही नारी है।
घमण्ड नहीं संस्कार दिखाए जाते है,
कोई पूछे तो कहना हम पहाड़ से आते है !!
घर ज़मीं पे है पर हम जन्नत में रहते हैं,
हमे गर्व है कि हम उत्तराखंड में रहते हैं 🥀🥀
स्वर्ग छोड़कर शहरों में बस गए,
अब मंजर ये है की ग्रीन व्यू के लिए तरस गए !!
गर्मियों में हो, या जाड़ो में,
बहुत शुकून मिलता है उत्तराखंड की पहाड़ो में !
देवो का जहाँ वास है, नदियों का जहाँ उपकार है,
वादिया जहाँ की खूबसूरत हैं, मेरा घर “उत्तराखंड” वही है !!
वक्त की दौड़ से भी तेज दौड़ रहा हूँ मैं
जो मिल चुका था, स्वर्ग सा वही छोड़ रहा हूँ मैं
क्या किस्मत लिखने में कमी कर दी तूने,
न चाहकर भी अपना पहाड़ छोड़ रहा हूँ मैं!
हम जहां के रहने वाले हैं,
वहाँ मौसम रंग बदलता है, वहाँ के लोग नहीं,
(जय देवभूमि उत्तराखंड ) !!
उत्तराखंड सी हो गई जिंदगी,
खूबसूरत तो बहुत है, पर आपदाये भी कम नहीं है !!
गांव की हवा और शहर की दवा,
बराबर काम करती हैं। ❤️😊
गांव में जन्म नसीब से मिलता है।
शहर तो मजबूरी का नाम है। 🤷♂️
एक जमाना वह था जब हम ,आग मॉँग कर लाते थे ।
उसी आग को फूँक-फूँक कर घर की आग जलाते थे ।।
पढ़ने के लिए लम्पू था सहारा , कभी लालटेन जलाते थे ।
उसकी बत्ती घुमा घुमा कर , मुश्किल से काम चलाते थे ।।
उम्मीद छोड़ दी हमने कुमाऊ – गढ़वाल से,
बहु लेकर आना पड़ेगा अब नेपाल से !!
शहर जाकर बस गया हर शख्स पैसों के लिए
ख्वाहिशें ने हमारे पूरे गांव को खाली कर दिया।
छोड़ आये हम , 1000 गज मे बनी गांव की हवेली
शहर के 100 गज के मकान को, तरक्की बताते है !
सुना है उसने खरीद लिया है घर करोडो का शहर में,
मगर आँगन दीखाने आज भी, वो बच्चों को गाव लाता है !!
शहर में छाले पड़ जाते हैं, जिंदगी के पांव में,
सुकून का जीवन जीना है, तो आ जाओ मेरे गांव में !!
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खूबसूरत वादियां शायरी, पहाड़ों वाली शायरी love
हम पहाड़ी हैं हम जहां पर
अड़ जाते हैं वहां बड़े-बड़े
तूफान भी फीके पड़ जाते हैं।
हम पहाड़ियों की जिंदगी भी
पहाड़ जैसी है दूर से देखने पर
ख़ूबसूरत दिखती है मगर है
बहुत कठिन।
पहाड़ भी इनके हौसले के
आगे सर झुकाता है कोई यूं
ही नहीं पहाड़ी बन जाता है।
कहते हैं “पहाड़ियों” का दिल पहाड़
जैसा होता है मगर “पहाड़ियों” का
दिल बर्फ जैसा होता है जो दूसरों
के दर्द को देख-कर पिघलने लग जाता है!
हम पहाड़ी पहाड़ों से भी ऊंचा हौंसला रखते हैं
हर मुस्किल का स्वाद अपने हाथों से चखते हैं।
पहाड़ी परिश्रमी भी होते हैं
पहाड़ी संस्कारी भी होते हैं
दिखते हैं। भोले भाले मगर
हम पहाड़ी चिंगारी भी होते हैं।
मत छेड़ो हम पहाड़ियों को अंजाम बुरा होगा
जो भी छेड़ेगा उसका हिसाब पूरा होगा।
दोस्तों, पहाड़ों वाली शायरी 2 line, देवभूमि उत्तराखंड पर शायरी के बारे में यह जानकारी आपको कैसे लगी? नीचे कमेन्ट करके जरुर बताइए। उत्तराखंड और देश – विदेश से जुडी ऐसे ही तमाम रोचक जानकारी के लिए हमारी साईट www.devbhumiuk.com पर आते रहिये।
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